Monday 21 August 2017

सोमवती अमावस्या क्यों है विशेष?

सोमवती अमावस्या

आज यानी 21 अगस्त को सोमवती अमावस्या है। इस बार एक ही दिन सोमवती अमावस्या और पश्चिमी देशों में दृश्य व प्रभावी सूर्य ग्रहण होने का दुर्लभ महायोग बन रहा है। वैसे तो वर्ष पर्यन्त हर माह अमावस्या आती है लेकिन सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व होता है। सोमवती की ही भाँति भौमवती अमावस्या भी महती पुण्यदायी होती है।
भारतवासी ध्यान दें कि इस ग्रहण का भारत भूभाग पर कोइ भी प्रभाव नहीं होगा और न ही सूतकादि नियम मान्य होंगे।

शाश्त्र सम्मति है कि अमावस्या सोमवार को हो और उस दिन सूर्य और चंद्रमा पृथ्वी के एक ही सीध में हों तो बहुत ही शुभ योग होता है। महाभारत में वर्णित है कि पांडव पूरे जीवन में सोमवती अमावस्या के लिए तरसते रहे लेकिन कभी उनके जीवन में सोमवती अमावस्या नहीं आई। इस दिन पवित्र नदियों, तालाबों, तीर्थों में स्नान और दान आदि का विशेष महत्व होता है।

संभव हो तो इस दिन गंगा स्नान करना चाहिए और शिव पार्वती की पूजा करना चाहिए। अमावस्या के दिन तुलसी पूजा का विशेष महत्व है। शास्त्राज्ञा है कि इस दिन वृक्षों के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए।

गरीबी दूर करने का उपाय-
सोमवती के शुभ संयोग में आर्थिक परेशानी से ग्रस्त लोगों को चाहिए कि सोमवती अमावस्या को यदि स्नान और पूजा के बाद तुलसी की 108 बार परिक्रमा की जाए तो गरीबी दूर होती है। इसके साथ सूर्य भगवान को अर्घ्य देना और ओंकार नाम का जाप करना भी बहुत ही शुभ फलदायी माना गया है।
ॐ शिवसंकल्पमस्तु ।।

Saturday 22 July 2017

नीच ग्रहों से लाभ, उच्च ग्रहों से हानि

नमस्कार
आज मैं आपको बता रहा हूँ कि किस प्रकार आपकी कुंडली में स्थित कोई  उच्च ग्रह आपको हानि दे सकता है और कोई  नीच ग्रह  आपको लाभ  दे  सकता है।

जैसा कि जब कोई  ग्रह उच्च / नीच का  होता है तो वो उस स्थान से सातवें स्थान पर  नीच/उच्च   दृष्टि डालता है। इसका तात्पर्य ये हुआ कि  यदि कोई ग्रह उच्च का है तो वो अपने से सातवें भाव (स्थान/घर) का अशुभ प्रभाव डालेगा। और यदि  ग्रह नीच का है तो वो अपने से सातवें भाव पर शुभ प्रभाब डालेगा।
इस प्रकार किसी व्यक्ति की कुंडली में तीसरे, चौथे, पांचवे या आठवें घर में नीच ग्रह स्थित हो, तो ये नीच ग्रह  व्यक्ति को लाभ ही देगा। क्योंकि इन स्थानों पर स्थित ग्रह की सातवीं दृष्टि नवम,दशम,एकादश और द्वितीय स्थान पर उच्च की होने से जो कि  क्रमशः भाग्य ,सम्मान-उन्नति, लाभ तथा धन का विशेष लाभ का योग बनाता है।
लेकिन  इस प्रकार के योग में मनुष्य को व्यक्तिगत,पारिवारिक, आंतरिक समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है।  

Monday 23 January 2017

सूर्य के दुष्प्रभाव को दूर करने के सरल उपाय

नमस्कार 🙏

***** सूर्य के दुष्प्रभाव को दूर करने के सरल उपाय*****

सूर्य के दुष्प्रभाव से व्यक्ति के सम्मान में कमी आती है। कई बार  सामाजिक बदनामी भी मिलती है।  नौकरी में पदोन्नति नहीं होती।  सूर्य के दूषित होने से व्यक्ति को पाइल्स, अपच, शुगर और हड्डियों आदि से सम्बंधित रोग होते हैं।

यदि आपकी कुंडली में भी सूर्य दूषित है तो निम्न सरल उपाय करें -

> रात्रि के समय गैस चूल्हे की अग्नि को दूध से बुझाएं।

> प्रातः काल मुंह में  गुड या मिष्ठान रख कर जल पीयें।

> रविवार के दिन गुड से बनी चीज़ पीपल के  नीचे रख कर आएं।

> पशुओं को गेंहू या गुड खिलाय व् दान करें।

> अंगीठी या चूल्हा  दान करें।

> इससे व्यक्ति को सूर्य के दुष्प्रभाव से मुक्ति मिलती है और निश्चित ही लाभ प्राप्त होता है।

पोस्ट लाइक व शेयर करे। अपने मित्रों को पेज से जोड़ें।🙏

Wednesday 4 January 2017

रत्नों से चमकाएं किस्मत :रत्न ज्योतिष विज्ञान

नमस्कार मित्रो 
जानिए रत्नों के ज्योतिष विज्ञान को और कैसे रत्न धारण से किस्मत चमकाई जा सकती है।
मित्रो स्टोन या रत्न ज्योतिष के उपचार या समाधान की एक प्रमुख वैज्ञानिक शाखा है।  रत्नों में तरह तरह के रासायनों की वजह से अलग-अलग रंग प्राप्त होते हैं।  जैसे -मोती -सफ़ेद, पन्ना - हरा आदि जिनके  धारण से मनुष्य को  सदैव लाभान्वित किया जाता है।
आईये जानते है रत्न किस तरह मानुष जीवन प्रभाव डालते हैं ? जैसा की मनुष्य का शरीर तत्वों से मिलकर बना है। विभिन्न तत्व विभिन्न प्रकार से मनुष्य को प्रभावित करते हैं।    हमारे शरीर मेंलौह, मैग्नीशियम, कैल्शियम, पोटैशियम आदि  रासायनिक तत्व निश्चित मात्रा में मौजूद रहते  है , इन तत्वों की मात्रा के   घटने बढ़ने की प्रक्रिया  में मनुष्य पर  शारीरिक व मानसिक असर पड़ता है। इन्हीं प्रभावों को हमारे ऋषि मुनियों ने  प्राचीन काल में ही इनसे होने वाले लाभ एवं प्रभावो को बताया है।
ऋषियों ने उन्हीं तत्वों व गुड़ो के कारण रत्नों को ग्रहों से संबंधित माना है।  यह रत्न ग्रहों के गुण धर्म से काफी मिलते जुलते हैं।   इसलिए जब कोई ज्योतिषी किसी जातक को रत्न पहनने की सलाह देता है तो वह रत्न उस जातक में उन गुणों की कमी को पूरा करता है अतः रत्न के पहनने से रत्न का कुछ हिस्सा तथा प्रकाश के संयोग से रत्न का वह तत्व शरीर में प्रविष्ट होकर उस कमी को परिपूर्ण करता है।  
 मित्रो इस लेख के पढ़ने के बाद आप रत्न ज्योतिष के विज्ञान को तो समझ ही गए होंगे कि कैसे रत्न धारण करने से हम अपने जीवन सुखमय बना सकते है , उर अपनी किस्मत को चमका सकते है।  परंतु आप सभी को एक सलाह ये भी दी जाती कोई भी रत्न बिना  ज्योतिषी के  परामर्श के ना पहने। ये ठीक वैसा ही जैसे बिना डॉक्टर से  परार्मश लिए दावा खाना।  जिसका साइड इफ़ेक्ट भी होता है।  इसलिए किसी अच्छे विशेषज्ञ ज्योतिषि  से ही सलाह लें।  धन्यवाद 
यदि आप हम से सलाह लेना चाहते है तो हमारे फेसबुक पेज पर मैसेज कर सकते है। राईट  साइड में फेसबुक लिंक पर क्लिक करें।

Sunday 1 January 2017

राशिफल 2017

नमस्कार🙏  सभी को नववर्ष की शुभकामनाएं💐

जानिए आपके लिए नया नमस्कार🙏
जानिए आपके लिए नया वर्ष 2017 कैसा रहेगा?
राशिफल लग्न पर आधारित है।

मेषः इस वर्ष आपको सावधानी के साथ चलना होगा। प्रमोशन मिल सकता है। धन का अच्छा योग बन रहा है। कही से अचानक भी धन प्राप्त होगा। अपने शत्रुओं पे नियंत्रण रखने में सफल रहेंगे।  जीवनसाथी का आगमन होगा।

वृषः स्वास्थ्य में लाभ होगा। उच्च पद की प्राप्ति होगी। जीवनसाथी से संबंध मधुर होंगे। नए साथी का आगमन होगा। छात्रों को अच्छे परिणाम मिलेंगे। धन के लिए मेहनत और बढ़ानी होगी।  शत्रुओं से सावधान रहे ।

मिथुनः आपके लिए ये वर्ष संघर्ष वाला रहेगा। जीवनसाथी से मनमुटाव होगा। कई मौको पर भाग्य का साथ भी मिलेगा। जिससे आपको ऊर्जा प्राप्त होगी। सितंबर से मानसिक तनाव कम होगा। छात्रो को भी सितंबर के बाद अनुकूल समय होगा।

कर्क: ये साल आपके लिए मिला जुला रहेगा। जीवनसाथी से  सहयोग मिलेगा। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। स्किन की डिसीज हो सकती है।  शत्रुओं में बढ़ोतरी होगी। परंतु मित्रो का भी सहयोग मिलेगा।

सिंह: शिक्षा के लिये ये वर्ष उत्तम रहेगा। नए अविष्कार भी कर सकेंगे। भाग्य का भी ठीक सहयोग मिलेगा। अगस्त के बाद स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखे। वाहन भी ध्यान पूर्वक चलाये, एक्सीडेंट भी हो सकता है।

कन्या: स्वाभिमान व धन का आगमन बढ़ेगा। नया वाहन भी खरीद सकेंगे। शत्रुओं पे काबू कर सकेंगे। जीवनसाथी का सहयोग मिलेगा। प्रियतम का आगमन होगा।

तुला: आपके लिये थोड़ी राहत मिलेगी, संघर्ष कम होगा। अक्टूबर से मानसिक तनाव में भी कमी आएगी। धार्मिकता बढ़ेगी। प्रयासों में सफलता मिलेगी। परिणाम नयी ऊर्जा देंगे।

वृश्चिक: समय नए अनुभव वाला रहेगा। ज्ञान बढ़ेगा। विवाह में हो सकती है देरी। संभल कर चले।  धन के आगमन में थोड़ा फायदा होगा। शत्रुओं पर विजय मिलेगी।

धनुः मेहनत का परिणाम भी मिलेगा।थोड़ी निराशा भी मिल सकती है। प्रियतम का जीवन में आगम होगा। तरक्की के लिए थोडा और इंतजार करना पढ़ सकता है।  नयी योजनाओ पर कार्य भी करेंगे।

मकर: ख़र्चा बढ़ेगा। धन का आगमन भी बढ़ेगा। नया घर भी ले सकते है।  जीवनसाथी से झगड़ा हो सकता है।  रिश्ते को सभाल कर आगे ले जाये। राजिनीति में पकड़ मज़बूत होगी। अधिकारियों को प्रभावित कर सकेंगे।

कुंभः धन का योग अच्छा बन रहा है। आधुनिकता भोगविलास पर खर्चे बढ़ेंगे। यात्रा का भी योग बन रहा है।स्थान परिवर्तन होगा। जॉब में लाभ होगा।

मीनः आपके लिए साल औसत रहेगा। विवाह का योग बन रहा है। जिस पर आप बढ़ा खर्च कर सकते है। व्यवसाय में लाभ होगा। अपनों का आशीर्वाद मिलेगा। घर्म क्षेत्र में हिस्सा लेंगे नयी धार्मिकता का अनुभव करेगे।

व्यक्तिगत परामर्श के लिए मेल करें - margdarshan.astrology@gmail.com

Whatsapp: +91-8109555489 कैसा रहेगा?

मेषः इस वर्ष आपको सावधानी के साथ चलना होगा। प्रमोशन मिल सकता है। धन का अच्छा योग बन रहा है। कही से अचानक भी धन प्राप्त होगा। अपने शत्रुओं पे नियंत्रण रखने में सफल रहेंगे।  जीवनसाथी का आगमन होगा।

वृषः स्वास्थ्य में लाभ होगा। उच्च पद की प्राप्ति होगी। जीवनसाथी से संबंध मधुर होंगे। नए साथी का आगमन होगा। छात्रों को अच्छे परिणाम मिलेंगे। धन के लिए मेहनत और बढ़ानी होगी।  शत्रुओं से सावधान रहे ।

मिथुनः आपके लिए ये वर्ष संघर्ष वाला रहेगा। जीवनसाथी से मनमुटाव होगा। कई मौको पर भाग्य का साथ भी मिलेगा। जिससे आपको ऊर्जा प्राप्त होगी। सितंबर से मानसिक तनाव कम होगा। छात्रो को भी सितंबर के बाद अनुकूल समय होगा।

कर्क: ये साल आपके लिए मिला जुला रहेगा। जीवनसाथी से  सहयोग मिलेगा। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। स्किन की डिसीज हो सकती है।  शत्रुओं में बढ़ोतरी होगी। परंतु मित्रो का भी सहयोग मिलेगा।

सिंह: शिक्षा के लिये ये वर्ष उत्तम रहेगा। नए अविष्कार भी कर सकेंगे। भाग्य का भी ठीक सहयोग मिलेगा। अगस्त के बाद स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखे। वाहन भी ध्यान पूर्वक चलाये, एक्सीडेंट भी हो सकता है।

कन्या: स्वाभिमान व धन का आगमन बढ़ेगा। नया वाहन भी खरीद सकेंगे। शत्रुओं पे काबू कर सकेंगे। जीवनसाथी का सहयोग मिलेगा। प्रियतम का आगमन होगा।

तुला: आपके लिये थोड़ी राहत मिलेगी, संघर्ष कम होगा। अक्टूबर से मानसिक तनाव में भी कमी आएगी। धार्मिकता बढ़ेगी। प्रयासों में सफलता मिलेगी। परिणाम नयी ऊर्जा देंगे।

वृश्चिक: समय नए अनुभव वाला रहेगा। ज्ञान बढ़ेगा। विवाह में हो सकती है देरी। संभल कर चले।  धन के आगमन में थोड़ा फायदा होगा। शत्रुओं पर विजय मिलेगी।

धनुः मेहनत का परिणाम भी मिलेगा।थोड़ी निराशा भी मिल सकती है। प्रियतम का जीवन में आगम होगा। तरक्की के लिए थोडा और इंतजार करना पढ़ सकता है।  नयी योजनाओ पर कार्य भी करेंगे।

मकर: ख़र्चा बढ़ेगा। धन का आगमन भी बढ़ेगा। नया घर भी ले सकते है।  जीवनसाथी से झगड़ा हो सकता है।  रिश्ते को सभाल कर आगे ले जाये। राजिनीति में पकड़ मज़बूत होगी। अधिकारियों को प्रभावित कर सकेंगे।

कुंभः धन का योग अच्छा बन रहा है। आधुनिकता भोगविलास पर खर्चे बढ़ेंगे। यात्रा का भी योग बन रहा है।स्थान परिवर्तन होगा। जॉब में लाभ होगा।

मीनः आपके लिए साल औसत रहेगा। विवाह का योग बन रहा है। जिस पर आप बढ़ा खर्च कर सकते है। व्यवसाय में लाभ होगा। अपनों का आशीर्वाद मिलेगा। घर्म क्षेत्र में हिस्सा लेंगे नयी धार्मिकता का अनुभव करेगे।

व्यक्तिगत परामर्श के लिए मेल करें - margdarshan.astrology@gmail.com

Whatsapp: +91-8109555489

Wednesday 21 December 2016

क्या आपकी कुंडली में प्रेम विवाह के योग के हैं!!

जानिये क्या आपकी कुंडली में प्रेम विवाह के योग के हैं!!
यदि आप किसी युवक या युवती से प्रेम करते हैं और उसी से विवाह करना चाहते हैं ।
परंतु विवाह में अडचने आ रही हैं तो जान लीजिये कि क्या आपकी कुंडली में प्रेम विवाह के योग हैं कि नहीं ??

 

1.लग्न के स्वामी एवं सप्तम भाव के स्वामी का आपस में स्थान परिवर्तन या युति होना प्रेम विवाह का योग  बनता है । 

2.पंचम भाव एवं सप्तम भाव प्रेम विवाह में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं । यदि  पंचम भाव के स्वामी एवं सप्तम भाव के स्वामी की युति पंचम  या सप्तम भाव में होना या दोनों राशि परिवर्तन करते हों या दोनों में दृष्टि सम्बन्ध हो तो भी प्रेम - विवाह का योग बनता है।

3.गुरु और शुक्र वैवाहिक  जीवन में पति और पत्नी के कारक ग्रह हैं । इन ग्रहो पर पाप ग्रहो का प्रभावहो तो भी प्रेम विवाह का योग बनाते हैं। 

4.लग्नेश एवं  पंचमेश की युति या दृष्ट सम्बन्ध या राशि परिवर्तन प्रेम विवाह योग को उत्पन्न करता है ।

5. राहु का लग्न या सप्तम भाव में बैठना और सप्तम भाव पर गुरु का कोई प्रभाव न होना प्रेम विवाह का कारण बन सकता है । 
6.नवम भाव में धनु या मीन राशि हो और शनि या राहु की दृष्टि सातवें भाव, नवम भाव और गुरु पर हो तो प्रेम विवाह होता    है।

7.सातवें भाव में राहु ,मंगल हों। राहु ,मंगल ,सप्तमेश तीनों  वृष या तुला राशि  में हो तो प्रेम -विवाह का   योग बनता है।

8.जन्मलग्न ,सूर्यलग्न और   चन्द्रलग्न में दूसरे भाव और उसके स्वामी  का सम्बन्ध मंगल से हो तो भी प्रेम विवाह   होता है।

9.जन्म लग्न या चन्द्र लग्न में  शुक्र का पांचवे या नवें भाव में बैठना प्रेम  विवाह का  कारण बनता है ।

10.लग्न  में लग्नेश,चन्द्रमा हो तो प्रेम विवाह होता  है या सप्तम में सप्तमेश , चन्द्रमा  हो तो भी प्रेम -  विवाह हो सकता है  । 

Monday 12 December 2016

ज्योतिष विज्ञान और रामचरित मानस के सरल उपाय

रामचरितमानस की चौपाइयों के पाठ मात्र से ही अपने जीवन में सुधार कर सकते है। और सुखमय बना सकते हैं।

सब काम बनाने के लिए-
वंदौ बाल रुप सोई रामू |
सब सिधि सुलभ जपत जोहि नामू ||

विघ्न विनाश के लिए-
सकल विघ्न व्यापहि नहि तेही |
राम सुकृपा बिलोकहि जेहि ||

रोग विनाश के लिए-
राम कृपा नाशहि सव रोगा |
जो यहि भाँति बनहि संयोगा ||

घर मे सुख लाने के लिए-
जै सकाम नर सुनहि जे गावहि |
सुख सम्पत्ति नाना विधि पावहिं ||

विद्या पाने के लिए-
गुरू गृह पढन गए रघुराई |
अल्प काल विधा सब आई ||

निर्मल बुद्धि के लिए-
ताके युग पदं कमल मनाऊँ |
जासु कृपा निर्मल मति पाऊँ ||

प्रेम बढाने के लिए-
सब नर करहिं परस्पर प्रीती |
चलत स्वधर्म कीरत श्रुति रीती ||

सुख प्रप्ति के लिए-
अनुजन संयुत भोजन करही |
देखि सकल जननी सुख भरहीं ||

बैर दूर करने के लिए-
बैर न कर काहू सन कोई |
राम प्रताप विषमता खोई ||

मेल कराने के लिए-
गरल सुधा रिपु करही मिलाई |
गोपद सिंधु अनल सितलाई ||

शत्रु नाश के लिए-
जाके सुमिरन ते रिपु नासा |
नाम शत्रुघ्न वेद प्रकाशा ||

रोजगार पाने के लिए-
विश्व भरण पोषण करि जोई |
ताकर नाम भरत अस होई ||

इच्छा पूरी करने के लिए-
राम सदा सेवक रूचि राखी |
वेद पुराण साधु सुर साखी ||

पाप विनाश के लिए-
पापी जाकर नाम सुमिरहीं |
अति अपार भव भवसागर तरहीं ||

दरिद्रता दूर के लिए-
नहि दरिद्र कोऊ दुःखी न दीना |
नहि कोऊ अबुध न लक्षण हीना |

प्रभु दर्शन पाने के लिए
अतिशय प्रीति देख रघुवीरा |
प्रकटे ह्रदय हरण भव पीरा ||

शोक दूर करने के लिए-
नयन बन्त रघुपतहिं बिलोकी |
आए जन्म फल होहिं विशोकी ||

इस ब्लॉग को सब्सक्राइब करना ना भूलें। हमारे फेसबुक पेज को भी लाइक करें। और ज्योतिष विज्ञान के लेखो का लाभ लें।🙏शुभ हो